मरू क्षेत्र की विषम पारिस्थितिकी में वानिकी कार्य एक चुनौती हैं और यहाँ प्राकृतिक संसाधनांे के संरक्षण के साथ-साथ मानव-जानवरों के मध्य संघर्ष को नियंत्रित करना महत्तपूर्ण है। ये उद्गार जूट फाउण्डेशन के चैयरमैन एवं पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी सिद्धार्थसिंह ने शुष्क वन अनुसंधान संस्थान आफरी, जोधपुर में आयोजितका भारतीय वन सेवा अधिकारियों के पुनश्चर्या प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र में अपने उद्बोधन में व्यक्त किए। उन्होंने जूट द्वारा जल संरक्षण के साथ प्राकृतिक घासों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के बारे में जानकारी देते हुए एक छोटा वृत्तचित्र भी दिखाया। सिद्धार्थ ने आफरी द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यों को मरूक्षेत्र के लिये उपयोगी बताते हुए आशा व्यक्त की कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से न केवल देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए भारतीय वन सेवा अधिकारियों को मरुक्षेत्र की पारिस्थितिकी के बारे में जानकारी मिलेगी वरन् परस्पर विचारों के आदान-प्रदान से वानिकी शोध को एक नई दिशा मिलेगी।