भारत तिब्बत मैत्री संघ के राजगिर बिहार में आयोजित हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में महाशिवरात्रि के आस पास एक दिवसीय कैलाश मानसरोवर मुक्ती आन्दोलन विषय पर संगोष्ठी करने का प्रस्ताव रखा गया था। भारत तिब्बत मैत्री संघ प्रदेशाध्यक्ष रेशम बाला ने कहा कि कैलाश मानसरोवर एशिया भू-भाग के तिब्बत में बसा हुआ भारत का एक अभिन्न अंग है। सनातन हिन्दू धर्म का पवित्र तीर्थ स्थान है। वहां केवल हिन्दू धर्म का ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म, जैन धर्म और अन्य कई धर्मों का धार्मिक आस्थाओं का स्थल है। जिसे चीन ने अनैतिक रूप से अपने कब्जे में ले रखा है। आज भी बिना चीन की अनुमति से वहां नहीं जाया जा सकता है। कैलाश मानसरोवर मुक्ति आन्दोलन विषयक संगोष्ठी मे संस्कृत भारती के प्रांत महामंत्री पूनमचंद सुथार ने बताया कि भारत-तिब्बत सीमा की पावन धरा पर स्थित कैलाश मानसरोवर जो परम दिव्य, पवित्र, तपोमय देवभूमि के रूप में प्रतिष्ठित है। जांगिड समाज के राष्ट्रीय वरिष्ठ उप प्रधान पुखराज जांगिड ने कहा कि कैलाश मानसरोवर को मुक्त कराने के लिये देश में जनजागरण अभियान कर केन्द्र सरकार एवं देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सांसदो को ज्ञापन सौंपकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को कैलाश मानसरोवर मुक्ति का मार्गप्रशस्त करने के लिये अपील की जानी चाहिए।