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Thursday, December 7, 2023

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पिता जेल में, बेटी को शादी करना शोभा नहीं देता: दिव्या

शादी को लेकर दिव्या मदेरणा ने कहा- भाग्य की लकीरों में जेल लिखी थी, इसलिए 10 साल मैंने जेल के फेरे किए
जोधपुर। शादी को लेकर सवाल उठाने वालों को आखिर विधायक दिव्या मदेरणा ने जवाब दे दिया है। दिव्या ने कहा कि सभाओं में मेरे लिए कहा गया शादी कर लो। हम खाना कर देंगे। कुछ लोग ताली बजाते। खी…खी हंसते। मैंने सुना, लेकिन कभी जवाब नहीं दिया। साल 2011 से 2023 के बाद मैं आज जवाब देने आई हूं।उन्होंने कहा- अरे जरा आप सोच कर देखिए, आप जेल में हो। आपकी बेटी शादी मना रही है। मेरे पिता, उनका दर्द और उसकी सेवा मेरा सबसे पहला कत्र्तव्य है। दिव्या ने यह बात ओसियां में नामांकन सभा में कही थी।
उन्होंने कहा कि मेरे पिता दर्द के अंदर कैसे करवट बदलते होंगे, कैसे एक दिन कटता होगा। कैसे एक रात कटती होगी। उस बेटी को बाहर शादी करना शोभा नहीं देता। मेरे भाग्य की लकीरों में नहीं लिखा है। क्योंकि मेरे भाग्य की लकीरों में सेंट्रल जेल लिखी थी। इसलिए 10 साल मैंने फेरे किए हैं। क्योंकि वह मेरा कत्र्तव्य था। मुझे चुनौती देने वाले अपने गिरेबान में झांककर देखें। दिव्या ने कहा- शेरनी की तरह चुनाव लडूंगी। राजनीति के किसान सूरमाओं की बेटी हूं। महिपाल मदेरणा की बेटी हूं। शेरों की बेटी शेरनियां ही होगी। शेर प्रतिकात्मक किस चीज का होता है। मूझे बड़ी हंसी आई जब उन्होंने कहा जंगल भेज दो। निम्न से निम्न स्तर का प्रहार किया। शेर-शेरनी का प्रतीकात्मक बहादुरी होता है। साहस, निडरता, शक्ति स्वरूप, गर्व, आत्मविश्वास यह शेर के प्रतिकात्मक है। हम अपने बच्चे को कहते हैं। क्यों रो रहा है, शेर सा बहादुर बन। थोड़ा सा कोई ज्यादा रौब करता है, जैसे मैं करती हूं। विधानसभा में तो कहते है, इतनी क्यों शेर हो रही है? दरअसल, ओसियां विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी भैराराम चौधरी का एक वीडियो सामने आया था। वीडियो में भैराराम किसी का नाम लिए बिना कह रहे थे कि शेरनी तो जंगल में रहती है। उसे जंगल में भेज दो। यहां क्या जरूरत है? दिव्या मदेरणा ने कहा कि मुझे समझ ही नहीं आता कि आज के इस आधुनिक युग में भी ऐसी मानसिकता हो सकती है। हमारा राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ उसमें भी चार शेर हैं। मैं पूछना चाहती हूं कि अशोक स्तंभ के चार शेर जो साहस, शक्ति स्वरूप, गर्व और आत्मविश्वास के प्रतीक हैं। क्या उनके लिए भी ऐसे राय रखते हैं। उन्हें भी जंगल में भेजने का कहते हैं। जो हमारा राष्ट्रीय प्रतीक है।

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