जेएनवीयू के इतिहास विभाग में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में आयोजित व्याख्यान में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर की प्रोफेसर मीना गौड़, ने ‘मीरा: भारतीय नवजागरण की चेतना’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया। प्रोफेसर मीना गौड़ ने अपने व्याख्यान में बताया कि मीरां न केवल भक्ति संत थी बल्कि एक समाज सुधारक भी थी। मीरां ने सती प्रथा, पर्दा प्रथा और छुआछूत को नकारा था। प्रोफ़ेसर गौड़ ने बताया कि जिस प्रकार मीरां ने तत्कालीन व्यवस्था से सामना करते हुए अनेक कष्टों को सहते हुए, अपने गिरधर गोपाल की प्राप्ति के लक्ष्य के लिए लगी रही, उसका प्रभाव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय गांधीजी के सत्याग्रह पर भी पड़ा। गांधी जी ने भी अंग्रेजों के विभिन्न जुल्म सहते हुए अपने स्वशासन के लक्ष्य को प्राप्त करके ही दम लिया। प्रोफेसर गौड़ ने बताया कि मीरां की तरह प्रत्येक विद्यार्थी को भी बिना कष्टों की परवाह किए अपने लक्ष्य के लिए लग जाना चाहिए। कार्यक्रम में इतिहास विभाग के शिक्षक, स्नातक और स्नातकोत्तर के विद्यार्थी, शोधार्थी उपस्थित रहे।