आपको बताते हैं पुलिस इस मामले में किस तरह जांच आगे बढ़ा कर शातिर ठगों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। शातिर ठगों ने पावटा निवासी निर्यातक से पुणे के विमाननगर के 79, एसआरके ट्रेडिंग लिमिटेड, राजा अन्नामलाईपुरम चेन्नई के वायएसएम एन्टरप्राइजेज, त्रिसूर केरल के अब्दुल कादिर नाम के अकाउंट, मनिकोंडा हैदराबाद के अकेदी राकेश लिमिटेड, ओधव अहमदाबाद के धनराज मेटल, पचामल केरल के एमएम फ्रूट एंड वेज लिमिटेड, उदयपुर के सोनी लिमिटेड और कांदीवली, मुंबई के मुकेश कुमार लिमिटेड नाम के अकाउंट में रुपये ट्रांसफर करवाए। उदयपुर में जिस बैंक खाते में रुपये जमा कराए गए, उसके खाताधारक को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पता चला कि किसी करण नामक व्यक्ति ने उसके खाते से रुपये निकाले हैं। करण अब दुबई में है। ये भी आशंका है कि वे इस गैंग का मुख्य सदस्य है, उसने नाइजीरियन के साथ मिलकर ठगी को अंजाम दिया है। पुलिस ने बताया कि अलग-अलग राज्यों के शहरों में स्थित आईसीआईसीआई, एक्सिस, आईडीएफसी बैंक के खातों में ट्रांजैक्शन किया गया था। पुलिस इन खातों में उपयोग में लिए गए मोबाइल नंबर के आधार पर ठगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। जोधपुर पुलिस की साइबर टीम दिल्ली की साइबर टीम से संपर्क कर इस ठगी के हर पेंच को सुलझाने की कोशिश कर रही है। निर्यातक से वाट्सएप पर चेटिंग हुई थी। माइक बी फोरे, इंड्रयू रिच, राफेल सोरोस और निक फॅल्कर नाम के फेक एडवाइजर के झांसे में आकर 1 नवंबर को निर्यातक अरविंद ने सिल्वर मेंबरशिप ली और सवा दो लाख रुपए उनके बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए। अरविंद ने ये पेमेंट ऑनलाइन किया। इस पेमेंट पर उनको अच्छा रिटर्न मिला तो 1 लाख 4 हजार रुपए एचडीएफसी बैंक से ट्रांसफर कर दिए। फिर धीरे-धीरे 21 नवंबर तक 5, 10, 15, 20, 35 लाख रूपए ट्रांसफर कर दिए। ठगों ने विश्वास दिलाने के लिए एग्रीमेंट, डिजिटल सिग्नेचर आदि का प्रोपेगैंडा तक किया। जोधपुर पुलिस ने पूरे मामले में अनुसंधान के दौरान देशभर में कई खातों को फ्रीज करवाया है जिनमें ये ट्रांजैक्शन किए गए।