सर प्रताप विधि महाविधालय में संविधान दिवस पर अपने व्याख्यान में जस्टिस कुलदीप माथुर ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 में निहित विधिक समानता की अवधारणा संविधान की श्रेष्ठता का एक विशिष्ट आयान हैं। उन्होंने विधि विधार्थियों को अपने उदबोधन में कहा कि हमारे संविधान में निहित विधिक समानता ने ही महिलाओं की कार्यस्थल पर अनुकुलता से लेकर युद्ध के मोर्चा पर प्रतिनिधित्व का सफर तय करवाया है इसी दिशा में निरन्तर प्रगतिशील है। संचालन समिति नव शिक्षा समाज के अध्यक्ष गिरीश माथुर ने कहा कि संविधान हमारी आत्मा में आत्मचित है। हम सभी को इसका सम्मान रखना चाहिए। कार्यक्रम में डॉ सुभाष चन्द्र माथुर ने संविधान की लॉ ऑफ लैण्ड की अवधारणा के बारे में बताया। इस कार्यक्रम में संचालन समिति सचिव दुर्गालाल माथुर, संयुक्त सचिव महेश माथुर, उपाध्यक्ष ओम माथुर, राजेन्द्र कोमल आदि उपस्थित थे।