जोधपुर के डिफेंस लैब रोड सेक्टर 6 की सुभाष चंद्र कॉलोनी के रहने वाले रिटायर्ड फौजी सीपी जोशी ने शनिवार को अपना 103वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया। 19 नवंबर 1919 में जन्मे सीपी जोशी मूल रूप से उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल के रहने वाले हैं। जोशी ने सबसे पहले ब्रिटिश सेना में नौकरी के साथ शुरुआत की। उसके बाद देश आजाद होने के समय भारतीय सेना के साथ काम किया और 1962, 1965 और 1971 के युद्ध में हिस्सा लिया। जोशी ने सेकंड वर्ल्ड वार में भी हिस्सा लिया।
सीपी जोशी की बेटी गीता जोशी ने बताया उनके पिता बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे। इसके बाद जब सेना में शामिल होने की बारी आई तो अंग्रेजी सेना ने इंग्लिश नहीं आने की वजह से उन्हें भर्ती नहीं किया। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ऑनर्स में इंग्लिश की डिग्री ली और आर्मी ज्वॉइन की। ब्रिटिश आर्मी में सेवा के दौरान उन्हें कई सम्मान से नवाजा गया। सेकंड वर्ल्ड वॉर में लांस नायक जोशी ने बताया कि एक समय ऐसा भी आया जब अंग्रेजी सेना में जर्मन सेना से घिरती दिखाई दे रही थी। उस समय उनके कमांडर ने कहा कि क्या हमें सरेंडर कर देना चाहिए लेकिन मैंने कहा नहीं, वी विल फाइट लास्ट मैन, लास्ट राउंड। —– जोशी की बेटी अनीता ने बताया कि शिक्षा के प्रति हमेशा समर्पित रहे। नौकरी के दौरान ही उन्होंने गढ़वाल में यूनिवर्सिटी बनाने के लिए अहम योगदान दिया। 2019 ने जोशी के 100 साल पूरे होने पर सेना ने मेडल देकर उनका सम्मान किया था। युद्ध के समय की यादें ताजा करते हुए कहा कि वो 7 साल युद्ध में रहे, युद्ध में मेरे आसपास बॉम्ब फटते थे, लेकिन भगवान की कृपा से मुझे कुछ नहीं हुआ। मैंने हिटलर की सेना के खिलाफ भी अंग्रेजी सेना के साथ हुए युद्ध में हिस्सा लिया। उस दौरान बड़ी संख्या में मेरी साथी जवानों की मौत हो गई। मेरे गांव में और आस पड़ोस के 21 जवान भी मेरे साथ युद्ध में शामिल थे। उन जवानों की शहादत पर जब मैं उनके घर पर सेना की तरफ से प्रतिनिधि बनकर तो वहां का नजारा देखकर मुझे रोना आता था।